दिखावे की मदद
एक बार की बात है। शहर से दूर किसी एक गाँव मे एक दरिद्र ब्राह्मण रहता था, सभी उसको पंडित कहकर पुकारते थे, क्योंकि उसको वेदों और शास्त्रों का अच्छा खासा ज्ञान था।
लेकिन उसको अपने ज्ञान पर घमंड बिल्कुल भी नही था,परन्तु उसके साथ एक सबसे बड़ी समस्या थी, की वो बेहद गरीब था, परन्तु फ़टे पुराने कपड़ो में ही रहता था।
खाने तक के उसके पास पैसे नही थे
वो भिक्षा मांगकर अपना पेट पालता था।
एक दिन वो गांव में भिक्षा मांगने के लिए गया तो उसके गंदे और मैले कपड़े देख कर उसको भिक्षा नहीं मिली
क्योंकि किसी ने उसको देखते ही दरवाज़ा बन्द कर लिया
ये देखकर उसको बहुत गुस्सा आया लेकिन
वो कर कुछ न सका
जब वो अपने घर की तरफ जा रहा था तो रास्ते मे उसको एक सज्जन दिखाई दिए,पंडित की जनेऊ देखकर उन्होंने अपनी गाड़ी रोकी और ससम्मान कुछ दक्षिणा दी
और उसको बोला कि इन पैसों से वो जरूरत का सामान और अच्छे कपड़े खरीद सकता है।
पंडित ने उस सज्जन को आशीर्वाद दिया
कुछ दिनों बाद जब वही पण्डित उसी घर के बाहर भिक्षा मांगने गया तो अबकी बार पहनावा देखकर उसको अंदर बुला लिया गया,और खाने के पकवान परोसे गए
थोड़ी देर के बाद पंडित अपने ऊपर उन पकवानों को गिराने लगा ये देखकर जजमान बोलै
पंडित जी आप ये क्या कर रहे है
पंडित ने कहा कि इन पकवानों के हकदार ये तुच्छ कपड़े है
इसीलिए तो तुमने मुझे अंदर बुलाया अगर
तुम्हारे अंदर सच्ची श्रद्धा होती किसी की मदद करने की तो तुम ये दिखावे का चोगा नही पहने होते
ये कहकर पण्डित जी तो वहाँ से चले आये
लेकिन उस सज्जन को अपनी गलती पर पछतावा भी हुआ
और यही इस कहानी का मर्म है।
आशा है कि आपको भी कुछ न कुछ सीखने को मिला होगा।
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दिखावे की मदद || Dikhave Ki Madad
Reviewed by Motivational Keeda
on
August 04, 2024
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